गर्व: चार बार रिजेक्शन के बावजूद रांची के आदिवासी युवक रोबिन मिंज ने बनाई मुंबई इंडियंस टीम में जगह, पिता करते है सिक्योरिटी गार्ड का काम
जिस टीम के ट्रायल से छंट कर और निराश होकर रोबिन घर लौट आया था, आज उसी टीम ने फोन कर रोबिन को पासपोर्ट तैयार करने को कहा. रोबिन के कोच चंचल भट्टाचार्या ने बताया कि रोबिन छह साल से क्रिकेट के लिए पूरी मेहनत कर रहा है.

रांची का एक और सितारा क्रिकेट के आसमान में चमकने को तैयार है. रांची के नामकुम के रहने वाले रोबिन मिंज ने आदिवासी समाज से निकलकर मुंबई इंडियंस तक का सफर तय कर लिया है. रोबिन को मुंबई इंडियंस की ओर से इंग्लैंड में ट्रेनिंग का मौका मिलेगा. जहां उसके प्रदर्शन को और निखारा जाएगा. रोबिन की इस कामयाबी पर उसका पूरा परिवार और कोच काफी खुश है.
नामकुम के सदाबहार चौक के पास सॉनेट क्रिकेट क्लब के सदस्य रोबिन मिंज की इस कामयाबी पर उसके कोच आशिफ को भी गर्व हो रहा है. आशिफ ने बताया कि जिस टीम के ट्रायल से छंट कर और निराश होकर रोबिन घर लौट आया था, आज उसी टीम ने फोन कर रोबिन को पासपोर्ट तैयार करने को कहा. रोबिन के कोच चंचल भट्टाचार्या ने बताया कि रोबिन छह साल से क्रिकेट के लिए पूरी मेहनत कर रहा है.
रोबिन ने रिजेक्शन के बाद भी नहीं मानी हार: रोबिन मिंज का चयन मुंबई इंडियंस के लिए हो गया है. मगर उसका ये सफर इतना आसान नहीं रहा. अपने सफर में रोबिन ने चार बार रिजेक्शन का सामना किया. इतने रिजेक्शन के बाद कोई भी क्रिकेटर हताश हो जाए, मगर रोबिन ने हार नहीं मानी. लखनऊ सुपरजाइंट्स, दिल्ली कैपिटल्स, मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से ट्रायल में शामिल में होने के बाद रोबिन का सिलेक्शन नहीं हुआ था. मगर रोबिन की मेहनत ने रंग दिखाया. रॉबिन ने 2020-21 के दौरान अंडर-19 का ओपन ट्रायल के दौरान रोबिन ने अपने पहले ट्राई मैच में 60 रन बनाए और लगातार 5 छक्के मारे थे. इसके बाद रोबिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
सिक्योरिटी गार्ड है रोबिन के पिता: रोबिन मिंज के पिता रांची एयरपोर्ट में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते है. परिवार की माली हालत भी कुछ खास नहीं है. रोबिन की दो बहने भी है. ख़ास बात ये है कि क्रिकेट के प्रति रोबिन की दिलचस्पी देखकर उसके पिता ने उसका नामकरण सॉनेट क्रिकेट क्लब में करवा दिया, और उसकी मां रोज अपने बेटे को क्लब छोड़ने जाती थी.