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बिजली का हाल: सरकार को मिला रिकॉर्ड राजस्व, मगर बदले में जनता को मिल रही है घंटो बिजली कटौती

पूरा झारखंड गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है. अगर राजधानी रांची की बात करे तो शहर के लोगो को पांच से आठ घंटे तक रोजाना बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. सरकार दावा कर रही थी कि गर्मियों में बिजली की किल्लत नहीं होगी, इसके लिए एडवांस में बिजली खरीदी गयी थी, यहाँ तक कि 327 करोड़ की लागत से रांची शहर में अंडरग्रॉउंड केबलिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है. मगर गर्मी के रौद्र रूप के आगे त्राहिमाम करती जनता को बिजली का जोरदार झटका लगा है. खास तौर पर शाम होते ही जब बिजली का लोड बढ़ता है, तो राजधानी की बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाती है. रात के समय चैन की नींद तक लोगो की दूभर हो गयी है. रांची के कई इलाको में दिनभर बिजली की घंटो आँख मिचौली जारी रहती है. कांटाटोली, हरमू, कोकर, लालपुर, हिनू, अशोकनगर सहित कई इलाको में कमर्शियल दफ्तर भी है. लगातार बिजली कटौती से व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. रुक रुक कर कट रही बिजली के कारण इन्वर्टर भी काम नहीं कर पा रहे है.

जेबीवीएनएल को रिकॉर्ड राजस्व देने वाली जनता कराह रही है. दिसंबर 2022 में जनता ने सरकार को पांच सौ करोड़ का राजस्व दिया, जबकि यही राजस्व मार्च आते आते 1000 करोड़ के रिकॉर्ड राजस्व को भी पार कर गया. ये तो वो कमाई थी जो जेबीवीएनएल को सीधे तौर पर जनता से मिली. जुर्माना इतियादी से भी बिजली विभाग ने जमकर पैसा बटोरा. बिजली चोरी आदि मामलो में बिजली विभाग ने 400 करोड़ से अधिक का जुर्माना वसूला. बावजूद इसके जनता को पर्याप्त बिजली जब नसीब नहीं होती है, तो उसे सड़क पर उतरना पड़ता है. बिजली संकट से जूझते शहर के कई इलाको के लोगो का पारा भी गर्म हो गया. सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में सड़क पर उतरकर जनता ने सरकार से बिजली पानी के रूप में अपना अधिकार मांगा. जिसे वो भारी राजस्व देकर सरकार से खरीदती है.

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