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तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की डिग्री को बताया फर्जी

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने झारखंड के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर चुनावी हलफनामे में अपनी डिग्री को लेकर झूठी जानकारियां देने का आरोप लगाया है. महुआ मोइत्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि सांसद निशिकांत दुबे ने अपने हलफनामे में शैक्षणिक योग्यता को लेकर गलत जानकारी दी है. मोइत्रा ने अपने आरोपों के समर्थन में ट्विटर के जरिये सबूत भी दिए. मोइत्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट में बहुत से सबूत पोस्ट किये और सांसद के डिग्री को लेकर सवाल उठाये.

पहले ट्वीट में मोइत्रा ने 2009 से दुबे के नामांकन पत्र के हलफनामे की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमे उन्होंने 1993 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए करने का दावा किया था. मोइत्रा ने बताया कि दुबे ने 2019 से पहले अपने शैक्षणिक योग्यता की पूरी सूची प्रदान नहीं की. उन्होंने इसकी जानकारी सार्वजानिक करने को कहा.


मोइत्रा के दूसरे ट्वीट में दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन द्वारा झारखंड के पुलिस निरीक्षक को लिखा गया एक पत्र दिखाया गया है, जिसमे कहा गया है कि 1993 में निशिकांत दुबे नाम के किसी को भी दिल्ली विश्वविद्यालय में एमबीए प्रोग्राम में प्रवेश नहीं दिया गया है. यह जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से प्राप्त की गयी थी. मोइत्रा ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि विश्वविद्यालय ने 2020 में एक लिखित प्रतिक्रिया दी थी, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि दुबे 1993 के किसी भी एमबीए प्रोग्राम से पास आउट नहीं हुए है.


तीसरे ट्वीट में मोइत्रा ने झारखंड सरकार द्वारा मुहर लगाए गए दो पेज पोस्ट किये, जिसमे 2019 से दुबे का हलफनामा था. इस हलफनामे में दुबे ने दावा किया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता 2018 में प्रताप विश्वविद्यालय, राजस्थान से प्रबंधन में डॉक्टर ऑफ फिलॉसोफी थी. हालांकि, मोइत्रा ने बताया कि यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी किये बिना कोई पीएचडी नहीं कर सकता है.


मोइत्रा ने इसके बाद दुबे की शैक्षणिक योग्यता के बारे में तीन और ट्वीट किये, जहां उन्होंने प्रताप विश्वविद्यालय से एक प्रमाण पत्र पोस्ट किया. इसमें दिखाया गया है कि दुबे ने 2013-15 में एमबीए की डिग्री प्राप्त की थी. मोइत्रा ने टिप्पिणि की कि दुबे ने अपने पीएचडी आवेदन में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री का उल्लेख नहीं किया था. और यह भी स्पष्ट नहीं था कि कौन सी एमबीए की डिग्री को वैध माना जायेगा.


मोइत्रा ने यह कहते हुए अपने ट्वीट को समाप्त किया कि जो लोग फर्जी डिग्री लिखते है और अपने हलफनामे में झूठ बोलते है, उन्हें अपने पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने दुबे को उस प्रमाण पत्र का खुलासा करने के लिए भी कहा जो दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्हें 1993 में दिया था.


यह पहली बार नहीं है, बल्कि पहले भी कृष्णानगर से टीएमसी सांसद ने सत्तारूढ़ दल की आलोचना करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया था. हाल के अपने ट्वीट में मोइत्रा ने लोकसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि अध्यक्ष केवल भाजपा मंत्रियों को बोलने का मौका दे रहे है. जिससे विपक्ष को अपनी राय व्यक्त करने से रोका जा रहा है.

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