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स्पेशल रिपोर्ट: युवाओ को भड़काने वाला बाहरी गिरोह सरकार के रडार पर, जल्द होगा पर्दाफाश

सीएम ने कहा कि राज्य के युवाओ को भड़काने और नीतियों को अटकाने, लटकाने के पीछे बड़ा गिरोह काम कर रहा है. कुछ यूट्यूब और सोशल मीडिया चैनल्स, कोचिंग संचालक और छात्र नेता इसके मास्टरमाइंड है, सरकार की सब के ऊपर नजर है, जल्द ऐसे बाहरी गैंग का पर्दाफाश किया जाएगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज झारखंड के युवाओ को ढाल बनाकर राज्य में असंतोष और अराजकता की स्थिति उत्पन्न करने की हसरत रखने वाले बाहरी गैंग के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखी. मुख्यमंत्री ने हर बार हर नीति का विरोध करने वालो को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि बाहरी तत्व कुछ युवाओ को ढाल बनाकर राज्य में आग लगाने का प्रयास कर रहे है, समय आने पर उन सब को माकूल जवाब मिलेगा. सीएम ने कहा कि राज्य के युवाओ को भड़काने और नीतियों को अटकाने, लटकाने के पीछे बड़ा गिरोह काम कर रहा है. कुछ यूट्यूब और सोशल मीडिया चैनल्स, कोचिंग संचालक और छात्र नेता इसके मास्टरमाइंड है, सरकार की सब के ऊपर नजर है, जल्द ऐसे बाहरी गैंग का पर्दाफाश किया जाएगा. मुख्यमंत्री झारखंड के युवाओ के भविष्य को बार बार कोर्ट की दहलीज पर लाकर पटकने वालो के खिलाफ भी आक्रामक दिखे. सीएम ने कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि राज्य के युवा प्रतियोगी परीक्षाओ में बैठे और सरकारी नौकरी प्राप्त करे. इसीलिए वो हमेशा हर नीति का विरोध करने का बहाना खोजने लगते है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के लिए नियोजन नीति और स्थानीय नीति राजनीतिक एजेंडा बनकर रह गई है. राज्य की सत्ता पर 22 वर्षों तक राज करने वाला कोई भी राजनीतिक दल झारखंड की मूल भावना के अनुरूप नियोजन नीति का निर्धारण नहीं कर पाया. हमारी सरकार ने झारखंड के लोगों की भावना के अनुरूप 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति निर्धारित की, तो बाहरी गैंग इसे रद्द कराने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए. सीएम हेमंत सोरेन ने युवाओं को सदन के जरिये कहा कि राज्य का नौजवान जो चाहेगा, मेरी सरकार उसी रास्ते पर चलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों की अपनी नियोजन नीति है, लेकिन झारखंड की नियोजन नीति से दूसरे राज्यों को परेशानी ज्यादा हो रही है. नियोजन नीति के विरोध में जो लोग झारखंड उच्च न्यायालय में शिकायतकर्ता थे, वे बिहार और उत्तर प्रदेश के थे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के नौजवानों को सरकारी नौकरी के लिए फार्म भरने की दर हमारी सरकार ने घटा दिया ताकि वे पैसो की चिंता ना कर, पढ़ाई करे. सीएम ने कहा कि हमें मालूम था कि 1932 के आधार पर स्थानीयता नीति बनती भी है, तो बाहरी उसे कोर्ट में चैलेंज करेंगे और उसके कोर्ट में खारिज हो जाने का खतरा था. इसीलिए हमने केंद्र को इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था. जिसे भी राज्यपाल ने वापस लौटा दिया. ये सब किसके इशारे पर हो रहा है, ये आप समझ रहे है. हमारी कोशिश थी कि 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को नौवीं अनुसूची में शामिल करने से सांप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती.

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