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झारखंड के इस जिले में बर्ड फ्लू से दहशत, मुर्गो की खरीद बिक्री पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, जिले की सीमाएं सील

झारखंड के कृषि-पशुपालन विभाग ने जारी की एडवायसरी, मुर्गियों को तीस मिनट तक पकाने की सलाह, फ्लू के एपीसेंटर से 10 किलोमीटर के दायरे के अंदर मीट-मुर्गा, बत्तख की दुकानों को बंद करने का आदेश

झारखंड के बोकारो जिले में बर्ड फ्लू ने हाहाकार मचा दिया है. यहां बर्ड फ्लू से अबतक 700 मुर्गियों की मौत हो चुकी है. एहतियातन जिला प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. मुर्गियों की खरीद बिक्री पूरे जिले में बंद कर दी गई है. मीट-मुर्गे की दुकानों को एहतियात के तौर पर बंद कराया गया है. फ्लू के एपीसेंटर से 10 किलोमीटर के दायरे में किसी भी मांस, मछली, मुर्गा, या बत्तख की दुकानों को खोलने पर प्रतबंध लागू रहेगा. जिला प्रशासन ने जिले की सीमाओं को भी सील कर दिया है. किसी भी तरह की मुर्गी ना तो जिले की सीमा के बाहर जा रही है, ना मुर्गियों से लदे वाहनों को जिले की सीमाओं के अंदर आने दिया जा रहा है. स्वास्थ महकमा भी पूरी तरह सतर्क है. राजकीय कुटकुट पालन केंद्र सेक्टर 12 में मुर्गियों की लगातार मौत हो रही है. इसे एपीसेंटर माना गया है. राज्य सरकार की ओर से चास व् बेरमो के एसडीओ को पत्र भेजकर सभी थानों को अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है. जिला प्रशासन की टीम ने राजकीय कुटकुट पालन केंद्र के 12 किलोमीटर के अंतर्गत आने वाले गांवो में सैंपलिंग का काम शुरू कर दिया है.

राज्य सरकार ने जारी की एडवायसरी

बोकारो में बर्ड फ्लू के मामलो को देखते हुए झारखंड के कृषि-पशुपालन-सहकारिता विभाग ने आज एक एडवायसरी भी जारी की है. इसमें बर्ड फ्लू के बारे में विस्तार से बताया गया है. विभाग ने एवियन इन्फ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू को अत्यंत संक्रामक विषाणुजनित रोग बताया है जो घरेलू एवं जंगली पक्षियों को संक्रमित करता है. दूषित दाना देने से या दूषित पानी पिलाने से पक्षियों में इस रोग का प्रसार होता है. प्रवासी पक्षी विशेष रूप से जलीय पक्षी इस विषाणु के पोषक एवं श्रोत है. एडवायज़री में जिन प्रमुख बातो का उल्लेख है, वे निन्मलिखित है :

– मृत पक्षियों या मुर्गियों को हाथो से ना छुए, इसकी सूचना तत्काल स्वास्थ विभाग को दे
– सभी प्रवासी पक्षी संक्रमित नहीं होते, इन्हे नुक्सान ना पहुंचाए
– बर्ड फ्लू के एपीसेंटर से 10 किलोमीटर के दायरे में मीट-मुर्गा की दुकाने बंद रखे
– मुर्गियों को कम से कम तीस मिनट तक पकाये, अंडा से कोई खतरा नहीं है
– बत्तखों में सामान्यतः रोग के लक्षण नहीं दिखते, उनसे दूर रहे

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