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2016 से पहले की नीति के आधार पर शुरू होगी नियुक्ति, सात लाख युवाओं की राय पर सरकार करने जा रही है अमल

रांची: राज्य सरकार की नियोजन नीति का ड्राफ्ट तैयार हो गया है. सरकार 2016 से पूर्व की नीति को फिर से लागू कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2016 की नीति में आंशिक फेरबदल हो सकता है. सरकार ने नियोजन नीति को लेकर राज्य के युवाओं के साथ सीधा संवाद किया था. राज्य के सात लाख युवाओं के पास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का रिकार्डेड संदेश भेजकर उनकी राय मांगी गयी थी. राज्य के 90 फीसदी युवाओं की एक ही राय थी कि सरकार सबसे पहले नियुक्ति प्रक्रिया अविलंब शुरू करे. युवाओं की राय पर ही सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की पहल की है. सूचना के मुताबिक गैर आरक्षित रिक्तियों में कुछ बैरियर लगाकर सरकार नयी नीति बनाएगी.

2016 से पहले क्या थी नीति:

18 अप्रैल, 2016 को तत्कालीन रघुवर दास की सरकार द्वारा लागू नीति से पहले की नीति के आधार पर नियुक्तियों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों यानी ईडब्ल्यूएस के आरक्षण को जोड़ दिया जाये, तो इस नीति के अनुरूप 60 प्रतिशत रिक्तियां आरक्षित हो जाएंगी. आरक्षित श्रेणी में स्थानीय की नियुक्ति को लेकर बहुत परेशानी नहीं है. झारखंड से निर्गत होने वाले प्रमाण पात्र वैध होंगे. वहीं, गैर आरक्षित श्रेणी में सरकार कुछ नए प्रावधान को जोड़कर लागू कर सकती है. इसमें यहां के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की बात होगी.

हाईकोर्ट द्वारा नियुक्ति नियमावली रद्द करने के बाद फंसी है नियुक्तियां:

राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में नियुक्ति नियमावली बनायी थी. इसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. राज्य सरकार ने अपनी नियुक्ति नियमावली में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए झारखंड से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास होना अनिवार्य किया था. इस नीति को कोर्ट ने संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया था. हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सभी विज्ञापन रद्द कर दिए गए थे.

भारत सरकार की संस्था को फीडबैक के लिए लगाया था:

युवाओं से नियोजन व स्थानीय नीति के लिए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रिकार्डेड ऑडियो संदेश के माध्यम से फीडबैक लिया. ब्रॉडकास्ट कंसल्टिंग इंडिया लिमिटेड ने यह फीडबैक जुटाया है. यह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था है. यह सरकार व निजी क्षेत्र के लिए डाटा बेस तैयार करने और सर्वे का काम करती है. इस संस्था ने एम्स, गेल, रेलवे के साथ लोकसभा-राज्यसभा सहित शैक्षणिक संस्थाओं को अपनी सेवा दी है. झारखंड में भी कई विभागों ने इसकी सेवा ली है.

हेमंत सोरेन ने अपने ऑडियो में हां-नां में युवाओं से मांगा था जवाब:

सीएम हेमंत सोरेन के रिकार्डेड कॉल में कहा जाता है कि स्थानीय नीति पर हम हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें या जबतक 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति और पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के विषय को नौवीं अनुसूची में संरक्षण नहीं मिल जाता है, तब तक के लिए 2016 से पहले की नियोजन नीति को बहाल करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढाए. मेरा पूरा प्रयास है कि राज्य के आदिवासी-मूलवासी के हितों की रक्षा की जाये. साथ ही रोजगार-नौकरी के पर्याप्त अवसर भी समय रहते उपलब्ध हो. युवा साथियों, मैं आप ही में से एक हूं. ऐसी परिस्थिति में आपकी राय जानना चाहता हूं कि पूर्व की नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ कर देनी चाहिए. हां-नहीं में आप अपना उत्तर दें.

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