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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम 5 दिनों की रिमांड पर

रांची: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को 5 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) रिमांड पर भेज दिया गया है.अब वीरेंद्र राम 28 फरवरी तक ईडी की कस्टडी में ही रहेंगे. इससे पहले वीरेन्द्र को रांची की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया. ईडी के वकील ने पूछताछ के लिए 10 दिन की कस्टडी रिमांड मांगी थी, लेकिन न्यायाधीश पीके शर्मा ने 5 दिन की ही ईडी रिमांड मंजूर की है.

बुधवार की देर रात वीरेंद्र राम को ईडी ने पूछताछ के बाद हिरासत में लिया था. आज गुरूवार को सदर अस्पताल में मेडिकल जांच कराया गया, इसके बाद विशेष पीएमएलए अदालत में पेशी के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.

ईडी की पूछताछ में धनकुबेर निकला वीरेंद्र राम:

वीरेद्र राम के ठिकाने पर ईडी की टीम ने लगातार दो दिन छापेमारी की थी. इसमें करीब 1.50 करोड़ के जेवरात, 25 लाख रुपये नगद, एक दर्जन लग्जरी वाहन मिले थे. नौकरशाहों और नेताओं के करीबी माने जाने वाले वीरेद्र राम के पास 125 करोड़ से अधिक की संपत्ति की जानकारी ईडी मिली है. ईडी की टीम मंगलवार सुबह वीरेंद्र राम के कचहरी चौक के पास अभियंत्रण भवन में स्थित कार्यालय, अशोकनगर सहित वीरेंद्र राम से जुड़े रांची, जमशेदपुर, दिल्ली, सिवान, सिरसा के 24 ठिकानों पर दबिश दी थी. ईडी को वीरेंद्र राम के पास अकूत संपत्ति की जानकारी मिली थी. इसके बाद ईडी मनी लॉड्रिग के आरोप में छापेमारी के बाद हिरासत में लेकर पुछताछ किया. बुधवार देर रात वीरेद्र राम को गिरफ्तार कर लिया गया.

एसीबी ने 2.45 करोड़ की थी बरामद, पहली बार वीरेद्र राम का नाम आया था सामने:

15 नवम्बर 2019 को सरायकेला के ग्रामीण विकास विभाग के जेई सुरेश प्रसाद वर्मा के डिमना चौक स्थित आनंद विहार कॉलोनी स्थित घर से एसीबी की टीम ने 2.45 करोड़ रुपए जब्त किया था. इसके अलावे आभूषण और निवेश से संबंधित कागजाता भी मिले थे. जमशेदपुर एसीबी की टीम ने ठेकेदार विकास कुमार शर्मा से 10 हजार रुपए घूस लेते जेई सुरेश प्रसाद वर्मा को पकड़ा था. पूछताछ में सुरेश ने बताया था कि पहली मंजिल के कमरे वीरेंद्र राम को किराए पर दे रखा है. रुपए वीरेंद्र के हैं. एसीबी की टीम ने उस कमरे में रहने वाले आलोक रंजन को भी पकड़ा था, जो खुद को वीरेंद्र का भतीजा बताया था. हालांकि जांच में यह बात सामने आई कि आलोक रंजन ने किराए पर मकान लिया था. आलोक को किराए पर वीरेंद्र राम ने ही रखवाया था. इस मामले में ईडी ने 2020 में सुरेश प्रसाद वर्मा और आलोक रंजन पर केस दर्ज किया था. एसीबी ने सुरेश प्रसाद और आलोक रंजन के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था, इसी आधार पर ईडी ने मनी लॉड्रिग के तहत मामला दर्ज किया था.

रसूखदारो के धन निवेश करता था चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम:

ईडी को छानबीन में यह भी जानकारी मिली है कि वीरेद्र राम नौकरशाहों और नेताओं के भी काले धन का निवेश करता था. रसुखदारो के करीबी माने जाने वाले वीरेद्र राम की पत्नी फुलकुमारी राम 2019 में जुगसलाई और कांके विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती थी, हालांकि 2019 में ही एसीबी का छापा के बाद 2.45 करोड़ रुपये बरामदगी के बाद गंभीर आरोप के वजह से टिकट कट गया. उपर तक पहुंच रखने वाले वीरेद्र राम एक ही पद पर करीब आठ वर्षो तक जमे रहे, इसी वर्ष जनवरी में ग्रामीण विकास विभाग का मुख्य अभियंता बनाया गया था. ईडी जांच में वीरेंद्र राम के पॉलिटिकल कनेक्शन के बारे में भी जानकारी मिली है.

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