
आदिवासियों की सदियों पुरानी मांग को पूरा करने और जनजातीय समाज को एक अलग धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान दिलाने के सीएम हेमंत सोरेन के प्रयासों को अब देश भर से समर्थन मिल रहा है. सीएम हेमंत सोरेन ने पूरे देश को एक अलग राह दिखाई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देशभर के आदिवासी समाज को उनके हक अधिकारों के लिए एकजुट किया है. यही वजह है कि झारखंड के दिखाए रास्ते पर अब पूरा देश आगे बढ़ रहा है. देश की तमाम राज्य सरकारें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बताये मार्ग पर चलकर आदिवासी समाज को उनका अधिकार और पहचान दिलाने की राष्ट्रव्यापी मुहीम में जुट गयी है. कल तक जिस सरना धर्म कोड पर कोई राजनेता बात तक करने को तैयार नहीं था. जिस सरना धर्म कोड की बात करने से बड़े-बड़े राजनेता वोटों के बिखराव को लेकर डरते थे. आज हेमंत के हौसले ने उन सभी राजनेताओं के साथ-साथ आदिवासी समाज को अपनी पहचान के लिए आगे आने और लड़ाई लड़ने की हिम्मत दी है.
झारखंड के बाद अब पश्चिम बंगाल विधानसभा से भी सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. बंगाल में भी मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव का विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई. आदिवासी समुदाय की राज्य मंत्री बीरबाहा हांसदा ने सदन को संबोधित करते हुए सरना धर्म कोड पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि भारत में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन का अपना धर्म कोड है. लेकिन आदिवासी समाज के पास अपना कोई धर्म कोड नहीं है. उन्होंने बताया कि देश में आदिवासियों की संख्या 8.6 फीसदी है. मंत्री ने बताया कि धर्म कोड नहीं होने से आने वाले दिनों में आदिवासियों के अस्तित्व को खतरा हो सकता है. इसीलिए आदिवासियों को भी उनका धर्म कोड मिला चाहिए. आपको बता दें कि 11 नवंबर, 2020 को झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा से आदिवासियों के लिए अलग सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा था. इसके बाद देशभर में आदिवासी समाज के लोग सरना धर्म कोड को लेकर एकजुट हो रहे है. और केंद्र सरकार से आदिवासी समाज को उनकी अलग धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान दिलाने की मांग कर रहे है.