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कोडरमा में सीएम हेमंत सोरेन ने बताया खतियानी होने का असली मतलब, बोले – हमने कानून बनाया है कि जो खतियानी है, वहीं झारखंडी है, बरगद की टहनियां भले कितनी ही विशाल हो, उसका बीज एक ही होता है

आज से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खतियानी जोहार यात्रा के दूसरे चरण कि शुरुआत की. इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने खतियानी होने का असली मतलब बताया. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि एक बरगद का पेड़ चाहे कितना भी विशाल क्यों ना हो जाये, उसका बीज एक ही होता है. यही बीज खतियान है. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड अलग हुए 20 वर्ष से अधिक होने जा रहा है. और 20 वर्ष में आजतक यहां पर कौन मूलवासी है, इसकी पहचान कभी नहीं हो पायी. और यही वजह है कि यहां के जो मूलवासी लोग है, बीते 20 वर्षो तक इन मूलवासियों के हक अधिकार की लूट खसोट होती रही. सीएम हेमंत सोरेन आगे कहा कि आप किस मां-बाप के बेटा/बेटी है, आप उसका सर्टिफिकेट बनाते है. ये आपकी पहचान होती है. उसी तरह आपके राज्य और देश की भी अपनी पहचान होती है. आप विदेश में जाते है तो कैसे कहते है कि हम भारतीय है. इसी तरह कही जाते है तो कैसे कहेंगे कि हम झारखंडी है. खतियान ही झारखंडी होने की असली पहचान है.

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि देश के सभी राज्य अपने लोगों की पहचान करने का कानून बना के बैठे है. झारखंड ही ऐसा राज्य है, जहां ना इसकी पहचान करने की कोशिश की गयी और ना ही झारखंडियों को पहचान दिलाने की कोशिश की गयी. इसीलिए हमलोगों ने जो खतियानी है, वही झारखंडी है, इसका कानून बनाया. और वो इसीलिए बनाया कि कम से कम यहां के थर्ड, फोर्थ ग्रेड की जो नौकरियां हो, वो 100 प्रतिशत यहां के खतियान धारी को मिले, दूसरा किसी को ना मिले. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पूंजीपति लोग गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़ा का शुरू से दुश्मन रहे है. गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक यदि आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक रूप से मजबूत हो गया, तो पैसे वालों के घर में बर्तन कौन मांजेगा, उसके यहां ड्राइवर कौन खटेगा, उसके यहां खेती-बाड़ी कौन जोतेगा. यही सोच की वजह से हमेशा से गरीबों, आदिवासियों, दलितों, पिछडो और अल्पसंख्यकों का पूंजीपतियों द्वारा शोषण और दमन होता रहा. मगर अब गरीब, आदिवासी, दलित और पिछड़ा भी अपनी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहचान बना रहा है. कुछ लोगों को ये पच नहीं रहा है.

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