
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रिय मंत्री सह रांची की महापौर आशा लकड़ा के सरना धर्मकोड के ऊपर दिए गए बयान से आदिवासी सामाज आहत है और बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. रांची में धर्मगुरु बंधन तिग्गा की अध्यक्षता में बैठक कर आशा लकड़ा के बयान के खिलाफ विरोध मार्च निकालने का निर्णय लिया गया है. रांची के आदिवासी नेताओ ने बैठक कर ये तय किया है कि दिनांक 16 जनवरी को दोपहर तीन बजे रांची के जयपाल सिंह स्टेडियम से अल्बर्ट एक्का चौक तक विशाल विरोध मार्च निकाला जाएगा. अल्बर्ट एक्का चौक में पुतला दहन किया जाएगा.
मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सरना धर्मकोड पर मेयर आशा लकड़ा का बयान दिग्भ्रमित करने वाला है. 11 नवंबर को जब सरना धर्मकोड का प्रस्ताव विधानसभा में आया तब भाजपा विधायकों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. 2011 की जनगणना में अन्य धर्म कॉलम में देश भर के 79 लाख लोगो ने अपना अपना धर्म दर्ज कराया. इनमे 49.57 लाख लोगो ने अपना धर्म सरना धर्मकोड दर्ज कराया. जो जैन धर्म से कहीं अधिक है. झारखंड में 42.35 लाख लोगो ने अन्य धर्म के कॉलम में अपना धर्म दर्ज कराया था. जिसमे से 41 लाख लोगो ने सरना धर्म को अपना धर्म बताया था. यह मुंडा, हो, संथाल समेत राज्य की लगभग सभी जनजातीय समुदायों ने दर्ज किया. सरना धर्म को देश के 21 राज्यों में प्रभावी ढंग से अपनाया गया है. इसीलिए मेयर आशा लकड़ा का इसे मात्र छोटानागपुर का धर्म कहना भ्रमित करने वाला बयान है.
आदिवासी नेताओ ने कहा कि आशा लकड़ा के बयान को गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है, क्योकि वे आरएसएस की भाषा बोल रही है. बैठक में डॉ. करमा उरांव, बलकु उरांव, संगम उरांव, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, अमर उरांव, शिवा कच्छप, प्रभात तिर्की, रेनू तिर्की, रायमुनी किस्पोट्टा, सुमन खलखो, निर्मल पाहन, रंजीत उरांव, अस्मित तिर्की समेत अन्य लोग भी उपस्थित थे.
इन संगठनो ने किया विरोध
राजी पह्ड़ा सरना प्रार्थना सभा, केंद्रीय सरना समिति, झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, राष्ट्रिय आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म सोतो: समिति खूंटी, केंद्रीय सरना संघर्ष समिति, आदि..