नयी शिक्षा नीति के विरुद्ध शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा – 50 हज़ार पारा शिक्षकों की नियुक्ति करेगी सरकार, विभाग से पूछा गया तो विभाग ने कहा – ऐसा कोई प्रस्ताव कहीं नहीं है, फिर मंत्री जी पलटे, बोले – 11 महीने के लिए संविदा पर शिक्षकों को नियुक्त करेंगे
झारखंड में शिक्षक नियुक्ति हो नहीं रही है. नियमित शिक्षक नियुक्ति के इंतज़ार में प्रतिभावान और योग्य युवाओ की उम्र निकलती जा रही है और सरकार नियमावली, कोर्ट, कचहरी का हवाला दे रही है. इसका सीधा असर झारखंड के बच्चो के भविष्य पर हो रहा है.

झारखंड में शिक्षक नियुक्ति के नाम पर नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. सरकार दलील दे रही है कि उसकी बनाई गयी नियुक्ति नियामवली को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. अब नयी नियुक्ति नियमावली बनेगी तभी शिक्षकों की नियुक्ति होगी. अपने बयानों में लगातार शिक्षक बहाली की घोषणा करने वाले झारखंड के शिक्षा मंत्री की पोल उनके विभाग ने ही खोल दी. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ऐलान किया था कि राज्य सरकार झारखंड में 50 हज़ार पारा शिक्षकों की नियुक्ति करेगी. मगर जब इस प्रस्ताव के बारे में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से पूछा गया तो विभाग ने स्पष्ट कर दिया कि कहीं भी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. फिर मंत्री जी को जब यह जानकारी दी गयी तो मंत्री जी अपने बयान से पलट गए और नियुक्ति नियमावली का हवाला देने लगे. मंत्री जगरनाथ महतो ने फिर रास्ता तलाशने की बात कही, और झारखंड में 11 महीनो के लिए कॉन्ट्रैक्ट/संविदा पर शिक्षकों को नियुक्त करने की बात करने लगे. मंत्री जी कहने लगे कि झारखंड में नियुक्ति नियमावली के बनने तक बीच का रास्ता निकाला जायेगा. संविदा आधारित नियुक्ति की जायेगी. जिसमे आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाएगा.
पारा शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा नीति के विरुद्ध
नयी शिक्षा नीति के मुताबिक हर 30 बच्चो पर एक शिक्षक होना जरूरी है. वही सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो के अधिकता वाले इलाको में हर 25 बच्चो पर एक शिक्षक अनिवार्य है. केंद्र ने झारखंड सरकार से समयबद्ध योजना बनाकर शिक्षकों की नियुक्ति करने को कहा है, ताकि हालात सुधारे जा सके. नयी शिक्षा नीति में पारा शिक्षकों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है.
इधर हालात बेहद भयावह, 6200 स्कूलों पर केवल एक शिक्षक
झारखंड में शिक्षक नियुक्ति हो नहीं रही है. नियमित शिक्षक नियुक्ति के इंतज़ार में प्रतिभावान और योग्य युवाओ की उम्र निकलती जा रही है और सरकार नियमावली, कोर्ट, कचहरी का हवाला दे रही है. इसका सीधा असर झारखंड के बच्चो के भविष्य पर हो रहा है. यूएन की संस्था यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन (UNESCO) की रिपोर्ट चिंता पैदा करने वाली है. स्टेट ऑफ़ दी एजुकेशन रिपोर्ट ऑफ़ इंडिया नाम से जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि झारखंड में 6200 स्कूलों में केवल एक शिक्षक पढ़ा रहा है. यह कुल 45,908 स्कूलों का मात्र 14% है. लगभग 29% शिक्षक ऐसे भी है, जो अंडर स्किल्ड है.