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भाजपा ना तो सरना कोड लागू कराना चाहती है, ना 1932 खतियान और ना ही ओबीसी का आरक्षण : हेमंत सोरेन

रांची: विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन अपने वक्तव्य में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि सत्र तो छोटा था लेकिन कई विषयों पर सार्थक चर्चा हुई. विपक्ष चला गया यह कड़वी बातें सुनने का आदि नहीं है. हो भी कैसे जिसने 20 वर्षों तक मखमल पर समय गुजारा है, कभी गरीबी, मुफलिसी की मार नहीं झेली. इनके समय में भूख से मौत, सरकारी कर्मियों पर लाठीचार्ज समेत कई अन्य कार्य हुए. वर्तमान समय में सरकार के समक्ष कई चुनौतियां आयीं. कोरोना आया कि नहीं ये तो पता नहीं लेकिन भारत सरकार को पता चल गया है, अब वे क्या गाइड लाइन जारी करते हैं देखना होगा. जिस विपक्ष के पास यहां ना नेता हो, मुद्दा हो, ना कोई दिशा हो, उनके साथ कैसे हम सामंजस्य स्थापित करें. षड्यंत्र के साथ नेता नहीं बना रहे हैं. ये नेता बना सकते थे. बाबूलाल को मुखौटा के तहत नेता बनाया है, आदिवासी के नाम पर. इन्हें लगता है कि आदिवासी, मूलवासी इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ जायेंगे. भाजपा की चतुराई को अब हमलोग समझ गये हैं. एक आदिवासी नेता को आगे कर नियोजन नीति को कोर्ट से खारिज कराया.

उन्होंने कहा कि सदन से सरना कोड पारित हुआ. भाजपा के लोग कहते हैं कि सरना हिन्दू हैं और अभी सिमडेगा, बानो में सरना सम्मेलन, आम सभा कर रहे हैं. केंद्र से सरना कोड पारित नहीं कराया. ये ना तो सरना धर्म के हिमायती हैं ना ही 1932 और ओबीसी आरक्षण के हिमायती हैं. 20 वर्षों में कोई काम नहीं किया. 1932 का प्रयास किया था, ऐसा प्रयास किया कि राज्य में खून की होली खेली गयी. लेकिन जब हम 1932 लेकर आये तो लोग अबीर गुलाल खेल रहे हैं.

नियोजन नीति झारखंडियों के हित में बनायी थी. इस नीति में आदिवासी, दलित ओबीसी के हितों की रक्षा थी. सिर्फ 40 प्रतिशत जनरल को परेशानी थी. इस राज्य में मूलवासी आदिवासी को यहां नौकरी का अधिकार नहीं है. भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश हांसदा और बाकी 19 लोग यूपी बिहार के थे. ये तो वाचाल लोगों की जमात है. हल्ला करना इनकी फितरत है.

आज इनकी राजनीति सिर्फ ईडी- सीबीआइ तक सीमित हो गयी है. रोज सबेरे इनके नेता ईडी के कार्यालय जाकर मुद्दा खोजते हैं. अखबारों में सीरीज चल रहा है. अखबारों में खंड-खंड में छपता है और ये उसको लेकर सड़कों पर घूमते हैं.

उन्होंने कहा कि जब सरकार बनी थी तो कहा था कि जो भी खनिज संपदा रेल से ढुलाई हो रहा है उसमें बड़े पैमाने पर अवैध काम हो रहा है. जब राज्य सरकार को पता चला तो इसकी रोकथाम के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया. भारत सरकार के साथ मिल कर सॉफ्टवेयर की बात हुई लेकिन भारत सरकार साथ में नहीं आयी. हमने तो पूछा कि 1000 करोड़ का अवैध खनन हुआ है तो बताइये.

राज्य सरकार एसआइटी गठित करने जा रही है. रेल से कितनी अवैध ढुलाई हुई है उसकी जांच करायेंगे. भारत सरकार को भी जानकारी दी कि हम ऐसा करने जा रहे हैं. अब पता चला है कि भारत सरकार ने अपने सॉफ्टवेयर को बंद कर लिया है. जब हमलोग करने का मन बनाये तो अब भारत सरकार भी तैयार हुई है. ट्रैक्टर गाड़ी से तो अवैध ढुलाव तो होता ही था अब तो ट्रेन से ढुलाई हो रही है. झारखंड को रॉयल्टी के करोड़ों रुपये का नुकसान है. जब मांगते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता. जीएसटी का 5000 करोड़ बकाया है. नहीं मिल रहा है. प्रधानमंत्री आवास देने की बात कहते हैं. 8 लाख आवास भारत सरकार के पास पेंडिंग में है. गरीबों का अनाज नहीं दे रहा है. हम बाजार से खरीद कर गरीबों को अनाज दे रहे हैं.

रेलवे, आर्मी में नौकरी बैन है. अग्निवीर लाकर चार साल में बेरोजगार करने की व्यवस्था की. ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर लोग इन्हीं क्षेत्रों में नौकरी में जाते हैं.

चपरासी के पद पर ग्रैजुएट लड़के फॉर्म भर रहे हैं. चिंता की बात नहीं है, हम इसका रास्ता निकलेंगे. झारखंड के नौजवान को चिंता करने की जरूरत नहीं है. 20 साल के वातावरण में बदलाव हो रहा है. कई नीतियां बनायीं. कई उद्योग शुरू हुए. हमारी नीति से बड़े-बड़े उद्योग घराने खुश थे. हमसे बात हो रही थी उद्योग लगाने की. इन्हें यह नहीं पच रहा है कि एक आदिवासी नौजवान के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है. ये भय का वातावरण तैयार किये हुए हैं. सरकार मजबूती के साथ खड़ी है.

महंगाई पर अब ये नहीं बोलते. 400 का गैस 1200, 5 रुपये का प्लेटफार्म टिकट 50 रुपये है. डॉलर का भाव आजादी के बाद सबसे उच्च स्तर पर है.

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