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खत्म हुआ इंतजार, अब आईएएस बनने के झारखंडियों हो जाओ तैयार : एससी और एसटी छात्रों को अब आईएएस बनाने के लिए हेमंत सरकार ने खोल दिया खजाना, मिलेगी एक लाख रुपये की सहायता

अपने ऐतिहासिक कार्यो और एससी-एसटी-ओबीसी समाज के उत्थान के लिए सीएम हेमंत सोरेन लगातार संकल्पित रहते है. यही वजह है कि वे अपनी नीतियां इस तरह से तैयार करते है, जिससे समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों तक योजनाओ का सीधा लाभ पहुंचे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अब आदिवासी और एससी छात्रों को देश की सबसे बड़ी सिविल सेवा के शीर्ष पदों तक पहुंचाने के लिए अपना खजाना खोल दिया है. उत्कृष्ट और मेधावी एससी-एसटी छात्रों को अब हेमंत सरकार पढ़ाई पूरा कर आईएएस अधिकारी बनने के लिए एक लाख रुपये तक प्रोत्साहन राशि देगी. इस बात की परवाह किये बिना कि राज्य पर इसका कितना आर्थिक बोझ बढ़ेगा. मुख्यमंत्री ने योग्य और मेधावी एससी-एसटी छात्रों के लिए योजना की आज से शुरुआत कर दी.

जो एससी-एसटी छात्र यूपीएससी की प्रिलिम्स परीक्षा पास कर मुख्य परीक्षा की तैयारी करेंगे. सरकार उन्हें मेंस और साक्षात्कार के लिए एक लाख रुपये की सहायता मुहैया कराएगी. आदिवासी कल्याण विभाग के उप निदेशक की ओर से 2022-23 के लिए पीटी पास छात्रों से आवेदन भी मंगाए गए हैं. योग्य छात्रों को 1 लाख रुपए की मदद दी जाएगी.

इस ऐतिहासिक योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री एसटी-एससी सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना’ रखा गया है. इस योजना का लाभ केवल उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने अपनी मेट्रिक, इंटर और ग्रेजुएशन की पढ़ाई झारखंड राज्य के किसी संस्थान से पास की हो. बाहरी राज्यों के शिक्षण संस्थानों को पढाई के लिए प्राथमिकता देने वालो को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. योजना के बारे में विस्तृत जानकारी झारखंड सरकार के आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट की गयी है. इस महत्वकांक्षी योजना का लाभ लेने के लिए योग्य छात्र 7 जनवरी 2023 तक अपना आवेदन जमा कर सकते हैं. ऑनलाइन प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद आवेदक अपना आवेदन आदिवासी कल्याण आयुक्त कार्यालय, कल्याण कॉम्प्लेक्स, द्वितीय तल, बलिहार रोड, मोराबादी, रांची के पते पर निबंधित, रजिस्टर्ड डाक से या स्वयं जाकर भी जमा कर सकते है.

हेमंत सरकार ने आदिवासियों-पिछडो को दिलाई पहचान 

झारखंड में हेमंत सरकार के बनने के बाद से ही आदिवासियों-पिछडो को पहचान दिलाने और उन्हें उनका अधिकार दिलाने की कवायद शुरू कर दी गयी. वर्षो से चले आ रहे आंदोलनों पर पूर्ण विराम लगा. आदिवासी और पिछड़े समाज से नाता रखने वाले मेधावी छात्रों और प्रतिभावान युवाओ के लिए सरकार ने अपने दरवाजे खोल दिए. बीस साल तक जिस समाज की किसी ने सुध नहीं ली. उसे उसका मुकाम दिलाने की सोच के साथ सीएम के संकल्प का असर भी दिखने लगा. देश में पहली बार हेमंत सरकार ने आदिवासी महिलाओ को सशक्त बनाने के लिए काम शुरू किया. यह भी भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण रहा जब झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई में चल रही सरकार ने सोना झरिया मिंज को सिद्धो कान्हो मुर्मू विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया. सोना मिंज पूरे देश में पहली आदिवासी महिला बनी जिसे किसी विश्विद्यालय का कुलपति बनाया गया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ये जानते है कि आदिवासी समाज को आगे बढ़ाना है तो आदिवासियों को प्रशासनिक पदों तक पहुंचाना जरूरी है. वे अपनी कोशिशों में लगातार जुटे हुए भी है.

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