
प्रदेश कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सूची पर संग्राम तेज हो गया है. एक ओर जहां प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और पार्टी के कुछ नेताओ को इस सूची में कुछ गलत नजर नहीं आ रहा है, तो वहीं पार्टी के अल्पसंख्यक, महिला और दलित नेताओ में इस सूची को लेकर विरोधाभास देखने को मिल रहा है. आग इतनी सुलग चुकी है कि पार्टी के नेता अन्याय का पोस्टर लेकर दिल्ली दौड़ लगाने लग गए है. सबसे पहले फुरकान अंसारी ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात की और प्रदेश कांग्रेस की सूची पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. फुरकान ने सूची को झारखंड के मुसलमानो, महिलाओ, दलितों के साथ अन्याय बता दिया है. फुरकान अंसारी ने कहा कि राज्य में गठंबंधन की सरकार बनाने के लिए एक समुदाय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, लेकिन आज पार्टी की ओर से उन्हें ही हताश किया जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दबी जुबान नेताओ में इस बात की भी चर्चा है कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय पार्टी को सही दिशा नहीं दे पा रहे है. राज्य के किसी भी जिले में महिलाओ, अल्पसंख्यकों या दलितों को अध्यक्ष नहीं बनाया गया है.
कहीं कोई विवाद नहीं है, चयन लोकतांत्रिक तरीके से हुआ है – राजेश ठाकुर
पूरे विवाद में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि सूची पर कहीं कोई विवाद नहीं है. जिलाध्यक्षों का चयन पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुआ है. जिसे आपत्ति है वे अपना सुझाव पार्टी फोरम में रखे, पार्टी उसके सुझाव पर गंभीरतापूर्वक विचार करेगी.
पहली बार साक्षात्कार और अंको के माध्यम से हुआ चयन
राजेश ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस के जिलाध्यक्षों का चयन साक्षात्कार और प्राप्त अंको के आधार पर हुआ है. इसके लिए पार्टी ने 8 प्रश्नों का पेपर बनाया था. इसमें नेताओं की पार्टी में भूमिका, पूर्व का अनुभव और कामकाज देखा गया. साक्षात्कार में प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और जिला के संयोजक भी बैठे थे. साक्षात्कार की प्रक्रिया के बाद ही संगठन की ओर से सूची जारी की गयी है.