ओबीसी को 27% आरक्षण देने की पहल सराहनीय, मगर जातिगत जनगणना के बिना इसका कोई लाभ नहीं – मूलवासी सदान मोर्चा
झारखण्ड में पिछड़ी जातियों की आबादी 55% है, ऐसे में ओबीसी को 27% आरक्षण देना नाइंसाफी है. उन्होंने कहा जब तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों को 50% आरक्षण दिया गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए राज्य की 55%आबादी वाली पिछड़ी जातियों को झारखण्ड में कम से कम 36% या सरकार चाहे तो पिछड़ों को 50% तक आरक्षण दे.

रांची. पिछड़ी जातियों की जनगणना, आर्थिक, राजनीतिक ,शैक्षणिक, स्थिति व मूलवासी सदान आयोग का गठन करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर मूलवासी सदान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में आज जयपाल सिंह स्टेडियम रांची से मशाल जुलूस निकाला गया. जुलूस में रांची ,बुंडू ,होचर ,कांके, बेड़ो ,खूंटी, गुमला ,लोहरदगा, सिमडेगा आदि जगहों से मोर्चा के लोग शामिल हुए. जुलूस में पिछड़ी जातियों को 36 फीसदी आरक्षण देने, जातिगत जनगणना कराने, सदान आयोग का अविलंब गठन करने, पिछड़ों,सदानों, दलितों की जो बात करेगा, वहीं झारखण्ड में राज करेगा, की मांग के समर्थन मे नारे लगाए गए. मशाल जुलूस अल्बर्ट एक्का चौक पर पहुंचने के बाद सभा में तब्दील हो गई.
मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन पिछड़ी जाति व मूलवासी सदान अपने अधिकार के लिए आज भी संघर्षरत और आन्दोलनरत्त है. उन्होंने कहा कि पिछड़ी जातियों का जब तक जनगणना और सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक सर्वेक्षण सरकार नहीं कराती है, तब तक कानूनी अड़चन के कारण पिछड़ी जातियों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछड़ी जातियों को 27% आरक्षण देने की सराहनीय पहल की है, लेकिन जब तक सर्वेक्षण नहीं होगा, इसका कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.
झारखण्ड में पिछड़ी जातियों की आबादी 55% है, ऐसे में ओबीसी को 27% आरक्षण देना नाइंसाफी है. उन्होंने कहा जब तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों को 50% आरक्षण दिया गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए राज्य की 55%आबादी वाली पिछड़ी जातियों को झारखण्ड में कम से कम 36% या सरकार चाहे तो पिछड़ों को 50% तक आरक्षण दे. इस संबंध में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसकी अनुशंसा सरकार से की है तो फिर 55% वाले ओबीसी को 36% आरक्षण क्यों नहीं मिलना चाहिए. उन्होंने सवाल उठाया कि आयोग की अनुशंसा की अवहेलना आखिर क्यों की जा रही है.
प्रसाद ने कहा कि बिना देर किए पिछड़ी जातियों की जनगणना के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और शैक्षणिक सर्वेक्षण सरकार तुरन्त कराए. उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़ी जातियों का 7 जिलों में आरक्षण शून्य है. उसको तुरंत सुधार करने की मांग सरकार से की गयी है ताकि पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके.
बढे विधानसभा और लोकसभा की सीट :
राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि 1967 के बाद से संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्रों की जो सीटें आरक्षित की गई है उसे आरक्षित ही छोड़ दिया गया है. जिसके कारण अन्य समुदाय के लोगों को संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व मिले यह तय करना सभी राजनीतिक दलों की नैतिक जिम्मेवारी बनती है लेकिन दुर्भाग्य से संकुचित विचार रखने वाले राजनीतिक दलों के कारण ऐसा नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि रोटेशन नहीं हो पाना संविधान के विरुद्ध है.
राजेंद्र ने कहा कि समय की मांग है जो संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र ,महापौर इत्यादि जो लंबे समय से आरक्षित है, उसका रोटेशन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मूलवासी सदान जो झारखण्ड के सबसे पुराने बाशिंदे है जिसकी आबादी 65% है और इसमें पिछड़ी जातियों का लगभग 55% आबादी होने के बावजूद भी इसकी अनदेखी कर इनकी घोर उपेक्षा की गई है. उन्होंने कहा कि अब इसे किसी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने आने वाले समय में गांव से शहर तक अपनी एकजुटता और शक्ति प्रदर्शन करने की बात कही. कहा कि झारखण्ड के हर क्षेत्र के लोगों को विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व हो इसके लिए झारखण्ड विधानसभा की 81 सीटों को बढ़ाकर 160 करने तथा लोकसभा की 14 सीट को बढ़ाकर 28 सीट करने की मांग भारत सरकार से लगातार की जा रही है. साथ ही विधान परिषद का गठन करने की भी मांग भारत सरकार से की गयी है. उन्होंने सदानी भाषा नागपुरी, पंचपरगनिया, खोरठा और कुरमाली की पढ़ाई कक्षा 1 से शुरू करने की मांग झारखण्ड सरकार से की. प्रसाद ने कहा कि 65% मूलवासी सदानों में पिछड़ों, दलितों और सवर्ण तीनों समुदाय के लोग आते हैं. मोर्चा अध्यक्ष ने राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि झारखण्ड में सरकार बनानी है तो राजनीतिक दलों को अपने-अपने दलों में मूलवासी सदानों को तरजीह देना होगा.
मशाल जुलूस में डॉ सुदेश साहू, प्रो अरविंद प्रसाद, डॉ अमर कुमार, प्रो विद्याधर मेहता, प्रो पप्पू महतो, प्रो राजू हजाम, विशाल सिंह, हुसैन अंसारी, अमन अहमद, विकास कुमार, प्रदीप महतो, हेमंत कुमार, संजय कोइरी, गुरु प्रसाद ,जगरनाथ महतो, विजय कुमार, वासुदेव कुमार, संदीप महतो, अजय अहिर, जितेंद्र महतो, नीतीश कुमार, रजू महतो, लंबोदर महतो, सरोज कुमार,संतोष, मनोहर, अंगद ,कुलेश्वर, संजय ,रंजीत, पप्पू ,नागेंद्र ,महतो ,चितरंजन महतो, विलास महतो ,रवि चंद्र महतो, रोहित कुमार, गुलफाम अंसारी, प्रिंस राज, मेहरबान अंसारी, शबान अंसारी, अमन ठाकुर, इरफान अंसारी, महेंद्र ठाकुर, ब्रज भूषण पाठक, के अलावे सैकड़ों लोग शामिल थे.