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हेमंत सरकार के ऐतिहासिक फैसलों का दिखने लगा असर, निजी कंपनियां भी अब नियुक्तियों के लिए डोमिसाइल को कर रही जरूरी

राज्य में कार्यरत निजी कंपनिया भी ये जान गयी है कि जबतक हेमंत है, उनकी हेकड़ी एक नहीं चलने वाली. कभी जिन कंपनियों में बाहरी राज्यों से काम करने के लिए लोगो को नियुक्त किया जाता था, अब उन कंपनियों में झारखंड के खतियानी ही स्वाभिमान से रोजगार करते दिखाई देंगे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता वाली सरकार एक के बाद एक राज्य के हित में कड़े और ऐतिहासिक फैसले ले रही है. हेमंत सरकार के इन बड़े फैसलों का असर भी अब दिखने लगा है. राज्य के आदिवासी मूलवासियो को दशकों से जिन अधिकारों के लिए सड़को पर खून पसीना बहाना पड़ता था, जेल जाना पड़ता था. अब वे सभी अधिकार एक के बाद एक हेमंत सरकार में आदिवासी मूलवासी समाज को मिलने लगे है. राज्य में कार्यरत निजी कंपनिया भी ये जान गयी है कि जबतक हेमंत है, उनकी हेकड़ी एक नहीं चलने वाली. नतीजतन अब बड़ी कंपनियों से लेकर छोटी लघु निजी कंपनियां भी झारखंडियों के लिए नियुक्तियों का द्वार खोलने लगी है. कभी जिन कंपनियों में बाहरी राज्यों से काम करने के लिए लोगो को नियुक्त किया जाता था, अब उन कंपनियों में झारखंड के खतियानी ही स्वाभिमान से रोजगार करते दिखाई देंगे.

टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम प्रोडक्ट लिमिटेड (TSDPL) ने भर्ती के लिए लोगो से झारखंड का डोमिसाइल सर्टिफिकेट की प्रति जमा करना जरूरी कर दिया है. कंपनी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि झारखंड रोजगार आरक्षण नियम 2022 के प्रावधानों के तहत आवेदक को 25 नवंबर 2022 से पहले स्थानीय नियोजनालय में पंजीकृत होना अनिवार्य है. इसके अलावा लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए उम्मीदवार के पास झारखंड का डोमिसाइल होना जरूरी है. आपको बता दे कि इससे पहले टाटा स्टील में ट्रेड अप्रैंटिस के पदों के लिए भी जो नियुक्तियां निकली थी, उनमे आदिवासी (ST) होने कि शर्त अनिवार्य कर दी गयी थी. ऐसा पहली बार हुआ था, जब ट्रेड अप्प्रेन्टिस के पदों के लिए एसटी होना अनिवार्य था.

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