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ऐतिहासिक: विधानसभा से भी पास हुआ 1932 का खतियान, सीएम हेमंत सोरेन बोले – अगली बार 75 पार का मिलेगा आशीर्वाद

1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाये जाने की मांग झारखंड गठन के बाद से लगातार की जा रही थी. पूर्व की रघुवर सरकार ने स्थानीयता का कटऑफ डेट 1985 निर्धारित किया था, तब सरकार में रही आजसू पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार ने 1985 के आधार पर बनी स्थानीय नीति को झारखंड के लिए सबसे उपयोगी और सर्वोत्तम नीति बताया था.

झारखंड के लिए आज का दिन ऐतिहासिक हो गया. विधानसभा से हेमंत सरकार ने एक नहीं, बल्कि दो दो बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण बिल पास कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया. झारखंडी मूलवासियो को स्थानीयता का अधिकार दिलाने के लिए सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता वाली सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित कर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है. 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाये जाने की मांग झारखंड गठन के बाद से लगातार की जा रही थी. पूर्व की रघुवर सरकार ने स्थानीयता का कटऑफ डेट 1985 निर्धारित किया था, तब सरकार में रही आजसू पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की सरकार ने 1985 के आधार पर बनी स्थानीय नीति को झारखंड के लिए सबसे उपयोगी और सर्वोत्तम नीति बताया था. जिसका विरोध झारखंड में शुरू हो गया था. झारखंडी 1985 को स्थानीय नीति का कटऑफ मानने को तैयार नहीं थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इसके खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. सीएम हेमंत सोरेन ने अपने घोषणा पत्र में स्थानीय नीति का कटऑफ 1932 करने का वादा किया था. जिसके बाद महागठबंधन की प्रचंड जीत हुई, अपने किये वादे को आज पूरा करते समय मुख्यमंत्री भावुक भी दिखे. सीएम ने कहा कि आज झारखंडियों की जीत हुई है. जिस राज्य को बनाने में उनके पिता शिबू सोरेन ने अपनी पूरी जिंदगी झोंक दी, आज उस राज्य के लोगो को उनके बेटे ने अधिकार दिलाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है, झारखंड की जनता अगली बार उन्हें 75 पार का आशीर्वाद देगी.

पारित हुआ ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव 

विधानसभा से आज पिछड़े वर्ग के लोगो को राज्य में 27 फीसदी आरक्षण देने का अहम् बिल भी पास कर दिया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका वादा भी अपने घोषणा पत्र में किया था. ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों की लड़ाई मजबूत होगी और समाज में ओबीसी वर्ग का प्रभाव बढ़ेगा. ओबीसी समाज दशकों से इसकी मांग करता आ रहा था. पूर्व की भाजपा सरकार में भी इसे लेकर कई आंदोलन हुए, मगर रघुवर सरकार के पांच साल के कार्यकाल में ओबीसी समाज को उसका अधिकार नहीं मिल पाया था. हेमंत सोरेन की अध्यक्षता वाली सरकार ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने का अपना वादा पूरा कर ओबीसी समाज के लोगो को जश्न मनाने का मौक़ा दे दिया है.

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