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विशेष: विकास की बहार के बीच 1000 दिन की हुई हेमंत सरकार, धरातल पर उतरी योजनाए, मिला आमजन को अधिकार

कोरोना और लॉकडाउन जैसी वैश्विक बाधाओं का सामना कर गिरती अर्थव्यवस्था और लोक आकांशाओ के बोझ तले दबी सरकार की गाडी ने जब इन चुनौतियों से उबरकर पटरी पर रफ़्तार पकड़ी तो मानो हर उम्मीदों को पर लग गए. हर सपने एक के बाद एक पूरे होने लगे. जिसका असर राज्य के मुखिया के सुनहरे राजनैतिक भविष्य पर भी पड़ना तय है.

झारखंड में दूसरी बार किसी सरकार ने एक हज़ार दिन पूरा करने में कामयाबी हासिल की है. सियासी कुव्यवस्था के कलंक को झेल चुके झारखंड के लिए ये एक मिसाल बन गया है. जनआशीर्वाद की ताक़त से बहुमत की व्यवस्था का अंजाम क्या होता है ये एक बार फिर साबित हो गया है. राजनैतिक अस्थिरता का गढ़ बन चुके झारखंड में इससे पहले रघुवर सरकार ने और अब अबुआ सरकार यानी हेमंत सरकार ने एक हज़ार दिन पूरे कर लिए है. कोरोना और लॉकडाउन जैसी वैश्विक बाधाओं का सामना कर गिरती अर्थव्यवस्था और लोक आकांशाओ के बोझ तले दबी सरकार की गाडी ने जब इन चुनौतियों से उबरकर पटरी पर रफ़्तार पकड़ी तो मानो हर उम्मीदों को पर लग गए. हर सपने एक के बाद एक पूरे होने लगे. जिसका असर राज्य के मुखिया के सुनहरे राजनैतिक भविष्य पर भी पड़ना तय है.

कोरोना वैश्विक आपदा के समय एक ओर जहां राज्य में स्वास्थ सुविधाओं का घोर अभाव था. आरटीपीसीआर टेस्टिंग जैसी कोई सुविधा नहीं थी. अचानक कहर बनकर टूटी इस महामारी ने राज्य के स्वास्थ सुविधा को जोरदार झटका दिया. बेपटरी हो चुकी स्वास्थ सुविधा ओर आम नागरिको में उत्पन्न भय को अपनी नेतृत्व क्षमता से नियंत्रित करने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने खड़ी थी. ऐतिहासिक लॉकडाउन जैसी आर्थिक विभीषिका का शिकार हुए समाज के निचले तबके को संभालना ओर भुखमरी के संकट से लोहा लेना आसान नहीं था. मगर राज्य की हेमंत सरकार ने उस दौरान भी अनेक योजनाओ की शुरुआत कर भुखमरी जैसी आपदा को आने से रोका. बाहर फंसे राज्य के मजदूरों की सकुशल घर वापसी के लिए देश में पहली कोरोना स्पेशल ट्रेन झारखंड में लाने में कामयाबी हासिल की. हेमंत सोरेन की मजबूत इक्छाशक्ति का परिणाम था, कि हवाई चप्पल में चलने वाले गरीबो, मजदूरों को हवाई जहाज से झारखंड की धरती पर सकुशल वापस लाने में सरकार ने सबसे पहले पहल की. सरकार की सजगता ने राज्य में कोरोना महामारी को काबू करने में बेहिसाब योगदान दिया. कोरोना की दूसरी प्रकोप के दौरान भी सरकार के सामने आजीविका ओर जीवन दोनों बचाने की चुनौती थी. जिसका सरकार ने समझदारी पूर्वक सामना किया.

आदिवासियों को दिलाया उसका अधिकार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोरोना वैश्विक महामारी के थमते ही समाज में थम चुकी रफ़्तार को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी क्षमता से विकास के पहियों को दौड़ाना शुरू कर दिया. अबुआ सरकार ने आदिवासियों को उसका सबसे बड़ा अधिकार दिलाने के लिए पहल शुरू की. हेमंत जानते थे कि आदिवासियों को बहला फुसला कर समाज की मुख्यधारा से अलग किया जा रहा है. राज्य में आदिवासी समाज के धार्मिक अस्तित्व का सियासी फायदा लिया जा रहा है. इसका अंत तभी संभव है जब आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान वापस दिलाई जाये.

बिना देरी किये हेमंत सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की दशकों पुरानी ओर ऐतिहासिक मांग को विधानसभा में बहुमत से पारित कर केंद्र को भेज दिया. सरना धर्म कोड दिलाने के अपने वादे को हेमंत ने पूरा किया. ये आदिवासियों के धर्म संकट की सबसे बड़ी जीत थी.

विभीषिका के बाद विकास को मिली रफ़्तार

कोरोना विभीषिका के बाद राज्य सरकार ने विकास को रफ़्तार दी. सरकार ने एक के बाद एक धड़ाधड़ फैसले लिए. राज्य की रुकी हुई रफ़्तार को सरकार ने अपनी योजनाओ ओर घोषणाओं से बहार में बदल दिया. सूबे को ट्राइबल यूनिवर्सिटी, खेल नीति, सर्वजन पेंशन, पशुधन योजना, राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना, पलाश योजना, छात्रावासों के विकास से जुडी योजनाए सहित अन्य कई योजनाओ का लाभ राज्य के लोगो को एक के बाद एक मिलने लगा.

ऐतिहासिक फैसलों ने दिया जश्न का मौक़ा 

कोरोना काल से लेकर अबतक हेमंत सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए. जिसने राज्य की जनता को ना केवल गर्व करने का बल्कि जश्न में डूबने का मौका दे दिया. कोरोना काल के समय झारखंड पूरे देश को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाला पहला राज्य बना. झारखंड सरकार के प्रयासों से झारखंड देश का पहला राज्य बन गया जिसने कोरोना काल में सबसे पहले अपने प्रवासी मजदूरों ओर बाहर फंसे लोगो को ट्रेन से अपने राज्य लाने में कामयाबी हासिल की. झारखंड के प्रवासी मजदूर जब हवाई जहाज से वापस अपने राज्य लौटे तो हर झारखंडी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को बहुमत से पारित कराने की ख़ुशी में आदिवासी समाज डूब गया तो 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित हुआ तो पूरा झारखंड जश्न से सराबोर हो गया.

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार रोकने के हेमंत के कड़े फैसले के बाद पूरे राज्य को एक बार फिर जश्न मनाने का मौक़ा मिला. निजी क्षेत्रों में स्थानीय को 75% आरक्षण देने की बात हो या 25 करोड़ तक का टेंडर झारखंडियों को देने का फैसला. इसकी ख़ुशी सड़क से सदन तक दिखी. कर्ज में डूबे किसानो की कर्जमाफी कर हेमंत ने उनका दिल जीता. पारा शिक्षकों ओर आंगनवाड़ी सेविका सहायिकाओं को भी जब अधिकार मिला तो सीएम आवास भी जश्न मनाने वालो के लिए छोटा पड़ गया. पुरानी पेंशन योजना लागू होने की ख़ुशी में सरकारी कर्मचारियों का जश्न तो आजतक जारी है. तो वहीं सुरक्षा के प्रहरियों पुलिस के सीपीएल में बढ़ोत्तरी हुई तो उनका जोश भी हाइ हो गया.

जनजातीय महोत्सव कर दिलाई अलग पहचान

झारखंड में नौ अगस्त को हर साल जनजातीय महोत्सव साधारण तरीके से मनाया जाता था. मगर हेमंत सरकार ने इस रिवाज को भी बदल दिया. ट्राइबल कल्चर को महामंच देने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में पहली बार 2022 में जनजातीय महोसव का आयोजन करवाया. इस महोत्सव की ख्याति इतनी हुई कि आदिवासियों के साथ गैर आदिवासी भी बढ़ चढ़कर इस महोत्सव में शामिल हुए ओर आदिवासियों के संस्कृति, परंपराओं ओर उनके रहन सहन को समझा. आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को देश दुनिया तक इस महोत्सव से पहचान मिली. इस महा महोत्सव की कामयाबी ही कारण बनी कि हेमंत सरकार ने हर साल इस महोत्सव के आयोजन को हरी झंडी दे दी.

ये मिली सौगाते : सौर ऊर्जा नीति, उद्योग नीति, ट्राइबल यूनिवर्सिटी, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, पर्यटन नीति, ओबीसी को 27 फीसदी का आरक्षण, 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति, एसटी को 28% आरक्षण, पुरानी पेंशन योजना, सरना धर्म कोड, मॉडल स्कूल योजना, पलाश योजना, सर्वजन पेंशन योजना, झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग, फूलो झानो आशीर्वाद योजना, पोटो हो खेल योजना, जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना, जेपीएससी नियमावली, किसान पाठशाला, बिरसा हरित ग्राम योजना, हरा राशन कार्ड योजना, नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना, सावित्री बाई फूले किशोरी समृद्धि योजना, 100 यूनिट बिजली मुफ्त, प्री एवं पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना, डिजिटल स्किल यूनिवर्सिटी, 10 रुपये में धोती साड़ी योजना. केसीसी कार्ड, आदि के साथ साथ सरकार ने कई विभागों में रिक्त पड़े पदों को भी भरने का काम किया. राज्य में पहली बार फॉरेंसिक विभाग में नियुक्ति हुई. कृषि पदाधिकारियों की नियुक्ति, वन विभाग में नियुक्ति, खेल पदाधिकारियों की नियुक्ति कि गयी. राज्य में सांतवी से दसवीं जेपीएससी परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों को सबसे कम समय में नियुक्ति पत्र देने का रिकॉर्ड ने हेमंत सोरेन सरकार ने अपने नाम कर लिया.

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