
रांची. पांच सितंबर झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित होने जा रहा है. इस दिन विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया गया है. अटकले लगाई जा रही है कि इस दिन सदन में सरकार का शक्ति प्रदर्शन तो होगा ही मगर साथ ही साथ सरकार कई ऐसे विधेयकों को भी पारित कर सकती है, जिसका इंतज़ार सूबे की जनता को दशकों से था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस तरह से हाल ही में जनहित में ताबड़तोड़ फैसले ले रहे है. उससे उम्मीदे जगी है कि शायद पांच सितंबर का विशेष सत्र आम लोगो के लिए कई सौगातें ला सकता है. आइये जानते है ऐसे कुछ प्रस्तावों के बारे में जिसके बारे में अटकलों का बाजार पूरी तरह चरम पर है..
स्थानीय नीति: सबसे पहली चर्चा स्थानीय नीति की हो रही है. 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति पारित किये जाने का प्रस्ताव सदन के पटल पर आ सकता है. हाल ही में सरकार में शामिल मंत्रियो ने भी इस बात के संकेत दिए है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी लगातार विशेष सत्र को झारखंड के स्थानीय नीति के लिए विशेष बता रहे है. वे लगातार 1932 के खतियान को झारखंड की पहचान बता रहे है.
ओबीसी आरक्षण: झारखंड में अन्य पिछड़ी जातियों का आरक्षण 27% करने के प्रस्ताव को भी कल हेमंत सरकार सदन में पारित करा सकती है. ओबीसी समाज लगातार इसकी मांग करता रहा है. अब सरकार अपने घोषणापत्रों के सभी वादों को एक एक कर पूरा कर रही है. लिहाजा विशेष सत्र में ओबीसी आरक्षण का प्रस्ताव पारित होने की प्रबल संभावना है. चुनावी सभाओ में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ओबीसी समाज से उनका आरक्षण 27% करने का वादा किया था.
जातिगत जनगणना: झारखंड सरकार सदन से जातिगत जनगणना का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेज सकती है. लगातार झारखंड मुक्ति मोर्चा इसकी मांग भी करती रही है. जातिगत जनगणना से एसटी, एससी और ओबीसी समाज को बड़ा फायदा होगा. अबतक समाज में जिन वर्गों को दरकिनार किया जाता था, जातिगत जनगणना होने से समाज के ऐसे तबको के अधिकारों की लड़ाई और मजबूत होगी.
सहायक शिक्षक: पांच सितंबर को जब पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा होगा. तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता वाली हेमंत सरकार सहायक शिक्षकों को बड़ी सौगात दे सकती है. कयासों की माने तो सरकार सहायक शिक्षकों के लंबित मांगो को सदन के माध्यम से पारित करा सकती है. सूबे के करीब 60 हज़ार पारा टीचर्स के लिए सरकार इस दिन को यादगार बना सकती है.