अगले सप्ताह जा सकती है बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधानसभा की सदस्यता, बीजेपी विधायक समरीलाल की सदस्य्ता पर भी लटक रही तलवार, राज्यपाल को भेजी जा चुकी है अनुशंसा
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को लेकर चल रहे दल-बदल मामले में अगले सप्ताह स्पीकर की अदालत में फैसला आ सकता है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार अगले सप्ताह बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधानसभा की सदस्य्ता जा सकती है.

रांची. झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़े मामले में जारी सियासी उठापटक के बीच भाजपा के लिए सिरदर्द बढ़ाने वाली खबर आयी है. एक ओर जहां खनन लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन की विधायकी खतरे में है, वहीं दूसरी ओर सूत्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को लेकर चल रहे दल-बदल मामले में अगले सप्ताह स्पीकर की अदालत में फैसला आ सकता है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार अगले सप्ताह बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की विधानसभा की सदस्य्ता जा सकती है.
वहीं एक अन्य मामले में कांके से बीजेपी के विधायक समरीलाल के फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में भी सदस्य्ता जाने की तलवार लटक रही है. विधायक समरीलाल पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर अनुसूचित जाति (दलित) के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा. इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है, जिसमे समरीलाल को फर्जीवाड़े का दोषी पाया गया है. फिलहाल मामला राज्यपाल के पास विचाराधीन है.
क्या है समरीलाल से जुड़ा मामला?
कांके से बीजेपी के विधायक समरीलाल पर गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ने और अनुचित लाभ लेने का आरोप है. इस मामले में शहर और बड़गाई अंचल के सीओ ने डीसी काे अपनी रिपाेर्ट साैंप दी है.
डीसी ने यह रिपाेर्ट जाति छानबीन समिति सह विशेष सचिव अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग काे भेज दी है. सीओ की रिपाेर्ट के मुताबिक जांच के दाैरान स्थानीय भंगी (बाल्मिकी) जाति के लाेगाें ने बताया कि जाति के लाेगाें काे अंग्रेज राजस्थान से लेकर यहां आए थे. लेकिन वे किसी तरह का लिखित साक्ष्य पेश नहीं कर पाए.
जांच के दाैरान 1950 से पहले के खतियान, जमीन का पट्टा और 1950 से पहले की मतदाता सूची में नाम या काेई सरकारी दस्तावेज भी नहीं मिला है. इससे साफ है कि समरी लाल मूलत: राजस्थान के हैं और आजीविका के लिए यहां आकर बसे हैं. इसलिए 2009 में जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर लिया गया लाभ अनुचित है. वे इस राज्य के अनुसूचित जाति का सदस्य हाेने की अर्हता भी पूरी नहीं करते.
समरीलाल के पूर्वज राजस्थान से थे, खतियान में भी नाम नहीं, जाति प्रमाण पत्र के लिए दिए दस्तावेज भी गायब:
रिपाेर्ट के मुताबिक वर्ष 2009 में शहर अंचल कार्यालय से जारी जाति प्रमाण पत्र में उन्हें भंगी जाति और हिंदू धर्म का बताया गया है. लेकिन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिए गए दस्तावेज भी कार्यालय में नहीं हैं. जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले पैतृक राज्य से ली गई एनओसी भी उपलब्ध नहीं है.
रिपाेर्ट में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के निर्देश के अनुसार अन्य राज्याें से आए अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्याें काे पहचान के लिए जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है, लेकिन उस से लाभ सिर्फ मूल राज्य में ही लिया जा सकता है.