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मनरेगा के नाम में बदलाव संबंधी बिल का झामुमो ने किया विरोध, बोली- पिछले 11 सालों से देश में गांधी जी के सोच को सुनियोजित तरीके से लगातार खत्म कर रही है मोदी सरकार

रांची: मनरेगा का नाम बदलने संबंधी केंद्र सरकार के बिल का झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विरोध किया है। झामुमो ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरों के अधिकारों पर व्यापक हमले की तैयारी कर ली है। महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने 1948 में हत्या की थी। पिछले 11 सालों से देश में गांधी जी के सोच को सुनियोजित तरीके से लगातार खत्म किया जा रहा है। और उसी दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा को खत्म करने के लिए बिल तैयार कर लिया है।

यह कैसी सरकार है जो मजदूरों के अधिकारों के कानून से गांधी जी के गरीबी उन्मूलन, विकेंद्रीकरण और सौहार्द्य की सोच को हटाकर धर्म विशेष नाम देती है।

केवल नाम नहीं, बल्कि यह बिल ग्रामीण मजदूरों के काम के अधिकार को ही समाप्त करने की घोषणा है। जिस प्रकार हर कल्याणकारी कानून में केंद्र बजट कटौती कर रही है और राज्यों के संवैधानिक अधिकारों को केंद्रीकृत कर अपने झोले में घिच रही है। ठीक उसी प्रकार मनरेगा को खत्म कर इस “विकसित भारत-जी राम जी” प्रस्तावित योजना में भी वही किया गया है।

मनरेगा अंतर्गत देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मजदूरों को काम का अधिकार है। लेकिन इस प्रस्तावित योजना में केंद्र तय करेगी कि कहां योजना लागू होगी और कहां नहीं। अब साल में दो महीने इस अधिकार को रोक देने का भी प्रस्ताव है। इतना ही नहीं, मनरेगा के अधिकार आधारित सोच के विपरीत अब केंद्र तय करेगा कि हर राज्य का कितना बजट होगा और अगर उससे ज्यादा लगे, तो केंद्र हाथ उठा लेगी। यह तो काम के अधिकार को खत्म करने की योजना है।

एक तरफ केंद्र झारखंड के खनिज को लूट कर राज्य के अधिकार का पैसा नहीं दे रही है। दूसरी ओर अब ग्रामीण रोजगार के इस योजना में राज्य सरकार को 40% खर्च देने की बात है। पहले केंद्र हमारा 1.36 लाख करोड़ रुपए व अन्य योजनाओं के पैसे को पूरा दें, फिर किसी तरह के पैसा मांगने की बात करें।

हमारी सरकार गरीब, किसान, मजदूरों की सरकार है। हम किसी भी परिस्थिति में मजदूरों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म होने नहीं देंगे। मनरेगा कानून को देश के सभी दलों ने मिलकर संसद में एकमत होकर पारित किया था। अब कोई भी इसे खत्म करने की कोशिश करेगा, तो झारखंडी मजदूर और हम सब सड़क से संसद तक संघर्ष के लिए तैयार हैं।

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