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चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में खर्च करने में झारखंड सरकार के कई विभाग फिसड्डी, नाराज वित्त मंत्री ने बुलाई सभी विभागीय सचिवों की बैठक, अब दिखेगा एक्शन

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में विकास योजनाओं के लिए के लिए भारी-भरकम बजट बनाया है, लेकिन खर्च की धीमी रफ्तार और सरकारी बाबुओ की उदासीनता ने राज्य में योजनाओं की गति पूरी तरह से रोक दी है.

रांची. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में विकास योजनाओं के लिए के लिए भारी-भरकम बजट बनाया है, लेकिन खर्च की धीमी रफ्तार और सरकारी बाबुओ की उदासीनता ने राज्य में योजनाओं की गति पूरी तरह से रोक दी है. हालात यह है कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित 91,741.52 करोड़ रुपये की योजना का पहले तीन महीने में महज 12,585.30 करोड़ रुपये यानी 13.72% ही खर्च हो सके हैं. इसी तरह स्थापना मद में 53,658.47 करोड़ रुपये के बजट के विरुद्ध 8,603.50 करोड़ रुपये यानी 16.03% ही खर्च हुए हैं.

ऐसे में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने खर्च की धीमी रफ़्तार पर नाराजगी जताई है. उन्होंने आज मामले को लेकर विभागीय सचिवों की बैठक बुलाई है. झारखंड मंत्रालय में सुबह 11 बजे से होनेवाली इस बैठक में मुख्य सचिव सहित विभिन्न विभागों के सचिव और प्रमुख उपस्थित रहेंगे. बैठक में वैसे विभागीय अधिकारियों को बुलाया गया है जिनके विभागों में शून्य खर्च या कम खर्च पाया गया है.

कृषि विभाग खर्च करने में सबसे पीछे

कृषि प्रधान राज्य में कृषि पर खर्च करने में राज्य सरकार इस चालू वित्तीय वर्ष के पहले तीन माह में सबसे पीछे रही है. 23 जून तक कृषि विभाग ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया है. इसी तरह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में केवल 0.15%, पंचायती राज विभाग में शून्य और जल संसाधन विभाग में 14.58% खर्च हुए हैं.

वित्त मंत्री ने जताई चिंता

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के अनुसार इस तिमाही में योजना मद की राशि 25% के स्थान पर मात्र 15% खर्च होना चिंता का विषय है. समीक्षा के दौरान खर्च करने में सबसे पीछे कृषि विभाग को पाया गया है, जबकि अभी खेती का समय है. विभाग के पास खर्च करने के अवसर भी हैं. इसके बाबजूद आवंटित राशि खर्च नहीं हो सकी है. राज्य सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं होने का दावा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि खर्च नहीं होने के कारणों को तलाशने और अगले तिमाही में इस कमी को पूरा कर करीब 35% खर्च करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभागीय सचिवों के साथ बैठक करने जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यही इच्छा है कि वित्तीय प्रबंधन ऐसा हो कि समय पर योजनाएं चलें. ससमय राशि खर्च हो. पिछले वर्ष चुनावी वर्ष था, मगर इस साल तो वैसी बात नहीं है. इस साल जो बजटीय राशि है. उसे ससमय शत प्रतिशत खर्च किया जाए इसका पूरा प्रयास किया जाएगा.

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