
रांची. सुप्रीम कोर्ट के SC आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों की ओर से आज भारत बंद बुलाया गया। भारत बंद का झारखंड की राजधानी रांची में व्यापक असर दिखा है। रांची के शहरी क्षेत्र के साथ-साथ रिंग रोड के इलाके में बंद समर्थक सुबह नौ बजे से सड़को पर उतर गए और सड़क को ब्लॉक कर दिया।
शहरी क्षेत्र की बात करें तो बाइपास रोड स्थित हरमू चौक में बंद समर्थको ने टायर जला कर सड़क को जाम कर दिया। इसके अलावा राजेंद्र चौक के पास भी भीम सेना के समर्थकों ने सड़क जाम किया। कांके चौक पर भी गाड़ियां रोकी गई हैं। दलदली चौक में भी प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर रोड जाम क्या।
वहीं रिंग रोड के दो प्रमुख चौक दलादली चौक और कटहल चौक के पास भी बांस-बल्ली लगा दिया गया। बंद समर्थक सड़कों पर उतरे। शहरी क्षेत्र के मोरहाबादी मैदान में बुधवार को सब्जी मार्केट लगता है। आज सब्जी विक्रेताओं की संख्या कम थी पर बाजार लगा हुआ था। किसी भी तरह की अप्रिय घटना के मद्देनजर शहर में भारी पुलिस बल तैनात किए गए थे।
राजधानी के अल्बर्ट एक्का चौक में सहित मेन रोड में सुबह से वाहनों की आवाजाही कम थी। सड़कों पर आम दिन के मुकाबले बेहद कम गाड़ियां चल रही थी।
अलबर्ट एक्का चौक, सर्जना चौक, सुजाता चौक और सैनिक मार्किट समेत मेन रोड के अन्य हिस्सों में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था।
सत्ताधारी पार्टियों ने किया समर्थन:
झारखंड में सत्ताधारी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय की ओर से पत्र जारी कर पहले ही बंद को जेएमएम का समर्थन दिया जा चुका है। कांग्रेस और राष्ट्रिय जनता दल के कार्यकर्ता भी बंद के समर्थन में सड़क पर उतरे हैं।
बंद के दौरान राजधानी में ज्यादातर दुकानें बंद थी, तो अलग अलग दलों से जुड़े नेताओं की टोली बारी-बारी से बंद को सफल बनाने के लिये झंडे बैनर के साथ सड़क पर उतर रहे थे।
इमरजेंसी सेवा को छोड़ बाकी सभी सेवाएं बंद में शामिल थी। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सड़कों पर छिटपुट वाहन चल रहे थी, लेकिन ज्यादार दुकानें बंद थी। राज्य के कई इलाकों में सड़क और रेल सेवा भी बाधित करने की खबर है। वहीं रांची से अन्य जिलों के लिए खुलने वाली बस सेवा बंद है।
क्या था 01 अगस्त 2024 को दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
एक मामले की सुनवाई करते हुए 01अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने वर्ष 2004 में ईवी चिन्नैया केस में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के ही फैसले को पलटते हुए कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों में उपवर्गीकरण का अधिकार है। सर्वोच्च अदालत ने साथ में अपने आदेश में यह भी कहा था कि उपवर्गीकरण करने वाले राज्यों को पर्याप्त डेटा और आंकड़ा इस बात का दिखाना होगा कि जिसका उपवर्ग बनाया गया है उसका प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी. आर. गवई समेत चार न्यायाधीशों ने यह भी कहा था कि SC-ST आरक्षण में भी क्रीमीलेयर का सिद्धांत लागू होना चाहिए। एक न्यायाधीश ने आरक्षण को एक जेनरेशन तक सीमित रखने का मत दिया था। इस तरह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच में से छह ने एकमत से दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 2004 के ईवी चिन्नैया केस में दिए फैसले को पलट दिया। वर्ष 2004 के फैसले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग में उप वर्गीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती है।