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आईएएस राजीव अरुण एक्का प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइल नहीं निपटा रहे थे, जांच आयोग की रिपोर्ट में एक्का को क्लीन चिट, बाबूलाल मरांडी ने वीडियो जारी कर एक्का पर लगाया था आरोप

रांची. आईएएस राजीव अरुण एक्का प्राइवेट स्थान पर सरकार फाइल नहीं निपटा रहे थे. वह अपने मित्र विशाल चौधरी को मिले ईपीएफ के नोटिस का जवाब बनाने में विशाल की मदद कर रहे थे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा जारी किये गए वीडियो के संबंध में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता की जांच रिपोर्ट में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है.

आयोग ने राजीव अरुण एक्का को अपने पद को देखते हुए किसी मित्र को इस तरह सार्वजानिक तौर पर मदद करने से परहेज करने का सुझाव दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि ऐसा करना किसी नियम के खिलाफ नहीं है. लेकिन उन्हें अपने उच्च पद को देखते हुए इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए. राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता की अध्यक्षता में बनी एक सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गयी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाबूलाल मरांडी द्वारा वीडियो जारी कर आईएएस राजीव अरुण एक्का को प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइलें निपटने का आरोप लगाया गया था. इस मामले को लेकर सरकार ने आयोग को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी. आयोग ने बाबूलाल मरांडी और राजीव अरुण एक्का को समन जारी कर शपथ पत्र के सहारे संबंधित मामले में अपनी बात कहने का निर्देश दिया था. बाबूलाल ने अपने शपथ पत्र के माध्यम से आयोग को बताया कि उनके कार्यालय में किसी ने एक पेन ड्राइव छोड़ दिया था. इसे खोलकर देखा गया. इसमें एक वीडियो क्लिपिंग थी. जिसमे एक प्राइवेट स्थान पर राजीव अरुण एक्का को निजी लोगों की मौजूदगी में सरकारी फाइलें निपटाते हुए दिखाया गया. राजीव अरुण एक्का ने शपथ पत्र दायर कर बाबूलाल मरांडी के दावे को गलत बताया.

आयोग के सामने हाजिर हुए थे एक्का:

राजीव अरुण एक्का आयोग के सामने हाजिर हुए. उन्होंने आयोग द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए कहा कि वह अपने मित्र विशाल चौधरी के कार्यालय में गए थे. वहां उन्होंने अपने मित्र को ईपीएफ द्वारा मिलें नोटिस का जवाब बनाने में मदद की. उन्होंने इसके बदलें में किसी तरह का कोई शुल्क भी नहीं लिया. उन्होंने अपने बगल में खड़ी लड़की का नीलोफर के रूप में पहचान की. वह उन्हें ईपीएफ से जुड़े मुद्दे के बारे में बता रही थी. वह पहली बार उनसे मिले थे. आयोग ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद नीलोफर को समन भेजने की जरुरत महसूस नहीं की. आयोग द्वारा प्रकाशित विज्ञापन के मद्देनजर भी कोई व्यक्ति इस वीडियो के संबंध में अपनी बात कहने के लिए आयोग के सामने नहीं आया. इन सभी परिस्थितियों के मद्देनजर यह पाया गया कि राजीव अरुण एक्का द्वारा शपथ पत्र के माध्यम से दी गयी जानकारी पर विश्वास नहीं करने का कोई कारण आयोग के पास नहीं है. अंततः आयोग ने इस बात को माना कि राजीव अरुण एक्का किसी प्राइवेट स्थान पर सरकारी फाइलें नहीं निपटा रहे थे.

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