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रांची में कल से दो दिवसीय आदिवासी गौरव का महा जश्न, जानिये झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 में इस बार क्या ख़ास रहेगा आपके लिए..

2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सोच के आधार पर शुरू किये गए जनजातीय महोत्सव ने विश्व आदिवासी दिवस को मनाने का तरीका और उसकी परिकल्पना ही बदल कर रख दी.

रांची. जेल चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में कल 9 अगस्त से दो दिवसीय (9 और 10 अगस्त) को झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 की शुरुआत होगी. जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और विविधताओं को अंतराष्ट्रीय मंच देने वाले इस महा जश्न में रांची के साथ साथ सभी जिलों के लोग बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे. दो दिनों तक राजधानी का जेल चौक और बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान जनजातीय गौरव और उसकी भव्यता का गवाह बनेगा. 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सोच के आधार पर शुरू किये गए जनजातीय महोत्सव ने विश्व आदिवासी दिवस को मनाने का तरीका और उसकी परिकल्पना ही बदल कर रख दी. 2022 से पहले विश्व आदिवासी दिवस के दिन अधिकांश युवाओ को जनजातीय इतिहास, उसके वर्तमान के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी, किसी को ये तक नहीं मालूम था कि झारखंड और देश में जनजातीय समाज का कितना अतुलनीय योगदान है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते वर्ष 9 अगस्त को जनजातीय महोत्सव 2022 की शुरुआत की थी. तब से विशेषकर युवाओ को विश्व आदिवासी दिवस का खासा इंतज़ार रहता है. इस समय राजकीय महोत्सव के रूप में झारखंड आदिवासी महोत्सव ना केवल युवाओ को सांस्कृतिक उल्लास और उमंग में डूबने का मौका देता है, बल्कि झारखंड और देश विदेशो के जनजातीय समुदाय की विशेषताओं, उनके अतीत, संस्कृतियों, परंपराओं और रहन सहन के तरीको को गहराई से समझने का मौका भी देता है. आदिवासी कोई वनवासी नहीं है, बल्कि वे भी हमारी तरह ही एक सभ्य मगर आदिकाल से अपनी परंपराओं और संस्कृतियों को सहेजने वाले समाज का हिस्सा है. वे प्रकृति के उपासक है. इसका संदेश भी आदिवासी महोत्सव हमसब को देता है.

झारखंड आदिवासी महोत्सव में इस बार क्या विशेष है:

9 अगस्त को दोपहर 12 बजे से 32 आदिवासी समूहों द्वारा धुमकुड़िया भवन, करमटोली से जेल चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान (झारखंड आदिवासी महोत्सव 2023 का मेजबान) तक रीझ – रंग रसिका कार्निवल निकाली जायेगी. इसमें पारंपरिक वाद्य यंत्रो से सुसज्जित 32 आदिवासी समुदायों के लोग अपने पांरपरिक परिधानों में नृत्य गान और कला की प्रस्तुति करते हुए उद्यान तक पहुंचेंगे. इस रीझ रंग रसिका कार्निवल का नेतृत्व दिशोम गुरु शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे.

1.12 बजे से 50 कलाकारों द्वारा नगाड़ा अथवा पारंपरिक वाद्य यंत्रो को बजाकर कार्यक्रम का उद्घोष किया जायेगा. 1.15 मिनट में मुख्य अतिथि सह राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन द्वारा विभिन्न प्रदर्शनी शिविरों, चित्रकलाओं, आदिवासी व्यंजन शिविरों का उद्घाटन किया जाएगा. 1.28 मिनट में दीप प्रज्वलन के साथ महोत्सव की विधिवत शुरुआत की जायेगी. 1.45 मिनट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन महोत्सव को संबोधित करेंगे. 2.20 मिनट में प्रसिद्द गायिका मोनिका मुंडू अपने गीतों से समा बांधेंगी.

3.10 मिनट से विभिन्न जनजातीय समूहों द्वारा पारंपरिक नृत्यों की प्रस्तुति की जायेगी. इसमें आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, केरल, झारखंड आदि राज्यों के आदिवासी समूह शामिल है. शाम चार बजे प्रसिद्द मांदर वादक राजेश बड़ाइक मांदर की थाप से लोगो में उत्साह का संचार करेंगे.

शाम 6.30 से छत्तीसगढ़ के बस्तर बैंड द्वारा जोशीली प्रस्तुति दी जाएगी. 7.25 से नागपुरी नृत्यों की प्रस्तुति सबका मन मोह लेगी.10 अगस्त को दिन के 11 बजे से पारंपरिक नृत्यों का सिलसिला पुनः शुरू होगा. इसमें उरांव आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य, पाइका नृत्य, गोंड आदिवासी समाज का कीहो नृत्य, कर्नाटक का दमनी लोक नृत्य, आदि शामिल है. दोपहर 12 बजे से मुंडारी गायन वादन, 12.55 बजे से बांसुरी वादन का कार्यक्रम शुरू होगा.

दोपहर 1.45 मिनट से पारंपरिक नृत्यों की दमदार प्रस्तुति शुरू होगी. इसमें अरुणाचल के रेखां पड़ा नृत्य, असम के लेवा टाना नृत्य, बिहू नृत्य शामिल है. 2.45 बजे से 9 आदिवासी समुदायों द्वारा रंगारंग प्रस्तुति दी जाएगी. 3.30 से डोमकुच लोक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा. 3.50 बजे से महोत्सव में आदिवासी समाज के दिव्यांगों द्वारा मनोहर प्रस्तुति दी जाएगी. 3.55 से गुजरात के अफ्रीकन आदिवासियों द्वारा सिद्धि धमाल नृत्य होगा. शाम 6.40 बजे से आदिवासी परिधानों से सुसज्जित फैशन शो होगा. शाम 7.30 बजे ड्रोन, लेजर शो होगा. इसके बाद भव्य आतिशबाजी के साथ महोत्सव का समापन हो जाएगा.

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